Not known Details About Shodashi

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

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ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

Devotees of Shodashi engage in several spiritual disciplines that aim to harmonize the brain and senses, aligning them with the divine consciousness. The following factors outline the progression in direction of Moksha by means more info of devotion to Shodashi:

नाना-मन्त्र-रहस्य-विद्भिरखिलैरन्वासितं योगिभिः

Goddess also has the title of Adi Mahavidya, which implies the complete version of actuality. In Vedic mantras, she is described as the Goddess who sparkles with The attractive and pure rays of the Sunshine.

वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥

श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram

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